Monika garg

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लेखनी कहानी -03-Jul-2023# तुम्हें आना ही था (भाग:-1)# कहानीकार प्रतियोगिता के लिए

"नैना बरसे रिमझिम रिमझिम।

पिया तोहरे अवन की आस…

हो नयना बरसे …नयना बरसे।


सड़क पर गाड़ी तेजी से भागी जा रही थी ।मौसम बहुत खराब था तेज हवाओं के साथ आसमान में उमड़-घुमड़ कर बादल आ रहे थे और मूसलाधार बारिश शुरू हो चुकी थी ।बीच बीच में बिजली की तेज गड़गड़ाहट ऐसे लग रही थी जैसे धरती को लील जाएंगी।

   ऐसे मौसम में राज गाड़ी में बैठा घर की ओर जा रहा था ।मौसम सुहावना था ऊपर से ये गाना उफ्फ…

राज का तो जैसे दिन ही बन गया था । बचपन से ही होरर फिल्मों का दीवाना राज आज इस रहस्यमय मौसम में भी होरर फिल्म का गाना गाड़ी में बजाता जा रहा था।

  उसके दो ही शौक थे एक डरावनी फ़िल्में देखना दूसरा पेंटिंग बनाना।वैसे पेशे से डाक्टर था ।आज उसकी दूसरे शहर में एग्जिबिशन थी पेंटिंग की।सोई लौटते समय शाम हो गयी थी ।वैसे भी पहाड़ी इलाकों में शाम जल्द ही गहरा जाती है ऊपर से मूसलाधार बारिश।वो वैसे तो शहर में ही रहता था लेकिन आज उसके पिता के दोस्त भूषण प्रसाद जो पेशे से पुरातत्व विभाग अधिकारी थे उन्होंने फोन पर कहा था

"राज ! सारा काम छोड़कर आज घर आ जाना कुछ जरूरी बात करनी है।"

तभी वह अपने अंकल की बात को टाल नहीं सकता था तो ऐसे तूफान में भी दौड़ा चला जा रहा था। क्यों कि पिता जी और मां को तो बचपन में ही खो चुका था पिता के जिगरी दोस्त भूषण प्रसाद और उनकी बेटी नयना जो उसी शहर में रहते थे को उसके पिता ने अपने अंतिम समय में उन्हें बुलाकर राज का हाथ उनके हाथ में दे दिया कि अब से ये मेरी अमानत तुम्हारी अपने बच्चे की तरह पालन पोषण करना।

 भूषण प्रसाद जी ने भी अपना वादा बखूबी निभाया और राज की परवरिश एक राजकुमार की तरह की उसकी हर ख्वाहिश पूरी की ।उसे शुरू से ही पेंटिंग का शौक था तो उसे मोटिवेट करते 

"बेटा शौक के साथ साथ करियर भी बनाना होगा तुम्हें।"

और उसे डाक्टरी की पढ़ाई पढ़ने के लिए लंदन भेज दिया। वहां से डाक्टरी पढ़ कर अपने देश लौटा तो अपने शहर से दूर दूसरे शहर में पोस्टिंग हो गई।राज को ये तो पता था कि पिता की इतनी मिल्कियत है की उसे ज्यादा दौड़ धूप करने की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी भूषण अंकल का मान रखने के लिए वो विदेश पढ़ने चला गया ।अभी महीना भर पहले ही वो लौटा था तभी विदेश में बनाई हुई पेंटिंग की एग्जिबिशन लगा दी उसी शहर में और आज ही अंकल का फोन काल आया कि जरूरी बात करनी है ।

गाड़ी तेज रफ्तार से दौड़ी चली जा रही थी ।तभी अचानक से उसकी गाड़ी चररर करके रुक गई ।रुक गई या राज ने एकदम से ब्रेक मारे ।उसने देखा सामने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की सफेद साड़ी में लिपटी खड़ी है ।राज को आश्चर्य हो रहा था कि इस बियाबान जंगल में ये बला की खूबसूरत लड़की आई कहां से?

राज बड़े गौर से देख रहा था लड़की उसकी गाड़ी के बिल्कुल सामने खड़ी थी और बहुत ही उदास लग रही थी।तभी राज ने झुंझलाकर कहा,"ओ मैडम ! मरने का इरादा है क्या? जो ऐसे बीच रास्ते में खड़ी हो और  हां क्या तुम्हें डर नहीं लगता इस बियाबान जंगल में?"

वो लड़की अचानक से उसके बिल्कुल समीप गाड़ी के पास आ कर खड़ी हो गयी और बोली" मुझे इंसानों से डर नहीं लगता ।मैं तो इन सन्नाटों से डरती हूं।"

तभी राज को लगा कि इतने खराब मौसम में और इस गहरे जंगल में एक अकेली लड़की को छोड़ना सही नहीं है तो उसने पूछा ही लिया,"क्या तुम्हें कहीं छोड़ दूं । कहां रहती हो?"

वह लड़की उसी तरह से उसे देखते हुए बोली,"जहां जाना चाहती हूं वहां ले चलोगे?"

राज बोला,"हां हां क्यों नहीं ये पूरा इलाका मेरा देखा हुआ है मेरा सारा बचपन यही गुजरा है, बोलों तुम्हें कहां जाना है?"

लड़की बोली,"एक शर्त पर मैं जहां भी जाऊं तुम मुझ से कोई सवाल नही करोगे।"

राज ने हां में सिर हिला दिया और वो लड़की गाड़ी में बैठ गई।

पर ये क्या जैसे ही लड़की गाड़ी में बैठी गाड़ी के वाइपर ने चलना बंद कर दिया जिसे देखकर राज एकदम से चिल्लाया

"ओह गोड! अब कैसे गाड़ी से जाया जाएगा वाइपर तो काम करने बंद कर गये।"

लड़की बोली,"तुम चलों मैं रास्ता बताती हूं।"

राज हैरान रह गया और बोला,"क्या तुम्हें इस मूसलाधार बारिश में आगे का रास्ता दिखाई दे रहा है ?"

वह बोली,"हां "

राज को बड़ा आश्चर्य हो रहा था वो लड़की बिल्कुल सही से रास्ता बता रही थी कि गाड़ी बाई ओर चलाओ आगे खड्डा है।वह सारे रास्ते सही से मार्गदर्शन करती रही ।राज ने एक बात नोटिस की वो लड़की पलकें नहीं झपका रही थी भला कोई भी इतनी देर बिना पलकें झपके कैसे रह सकता है और उसने ये भी देखा कि बाहर इतनी मूसलाधार बारिश थी और वह लड़की भीग रही थी पर गाड़ी में जब वो बैठी तो जरा भी गीली नहीं थी वरना गाड़ी की सीट उसके भींगे हुए कपड़ों से गीली हो जाती। लेकिन उस लड़की ने कोई भी सवाल करने से मना किया था तो वो चुपचाप गाड़ी चलाता रहा तभी एक जगह पर वह लड़की बोली,"बससस… यहीं गाड़ी रोक दो। मुझे यहीं जाना है।"

राज बोला,"यहां पर ? लेकिन ये तो बहुत पुरानी हवेली है मुझे जहां तक याद है यहां पर सालों से कोई नहीं रहता ।बचपन में हम दोस्त लोगों में जब शर्त लगती  थी तो हम लोग यहां आते थे कि देखें कौन ज्यादा समय तक इस हवेली के पास रहता है । यहां बड़ा सा एक घंटा है जो डोरबेल का काम करता है हम बचपन में उस घंटे को बजाते थे। लेकिन इस सुनसान पड़ी हवेली में से कभी कोई बाहर नहीं आया।अभी भी मेरा नाम इसके दरवाजे पर लिखा है ।"

राज लगातार बोले जा रहा था बिना ये देखें कि वो लड़की उसकी गाड़ी से दूर हवेली के जर्जर पड़े दरवाज़े के अंदर जा चुकी है ।राज ने एक बात और देखी जैसे ही वो लड़की गाड़ी से बाहर निकली गाड़ी के वाइपर अपने आप चलने लगे।तभी उसने देखा लड़की बिना दरवाजा खोले उस हवेली के अंदर चली गई।राज की तो सांसें अटक गई इसका मतलब वो जो इतनी देर से जिसके साथ बैठा था वो लड़की एक भूत……।


कहानी जारी है…






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6 Comments

Mohammed urooj khan

26-Aug-2023 11:06 AM

शानदार भाग 👍👍👍

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Saroj Verma

25-Aug-2023 10:58 PM

आखिर वो कौन थी?

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Abhinav ji

15-Jul-2023 07:59 AM

Very nice 👍

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